Shiv Aarti : ॐ जय शिव ओंकारा, Shivaji ki Aarti | शिवजी की आरती | Lord Shivaji ki Aarti-Om Jai Shiv Omkara

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शिवजी की आरती

Shiv Aarti : भगवान शंकर का दो अक्षर का नाम यानि शिव उनके मुख के अग्रभाग पर विराजमान हैं। वह धन्य है, वह एक धन्य पुरुष  है और वह है सृष्टि। आज भी जो कोई भी शिव का नाम लेता है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह मानव रूप में रुद्र हैं। बिल्व पत्र मात्र से शिवजी आज भी तृप्त हो जाते हैं फूल और जल चढ़ाने से भी शिवजी प्रसन्न होते है। भगवान शिव सदा के लिए सबके हितैषी हैं। वे बिल्व पत्र, पुष्प और जल से ही तृप्त हो जाते हैं। तो सभी को शिव जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। शिवजी इस संसार में महान सोभाग्य के दाता हैं। शिवजी एक महान ज्योति रूप है और अजन्मा परमेश्वर है।  महात्मा शिव सभी कर्मों और तर्कों से परे हैं। वह निर्गुण, निरविकार, निर्बद्ध निरविकल्प, निरंजन, निष्काम, निराधार और नित्य नित्यमक है। हम आपके ली लिए लाये हे प्रभु शिवजी की आरती(Shiv Aarti) हिंदी में और इंग्लिश में, तो पढ़े है पूरा लेख।

Shiv Aarti
Shiv Aarti

ॐ जय शिव ओंकारा : शिवजी की आरती | Shivji ki Aarti | Shiv Aarti lyrics in Hindi and English | Shiv Aarti |

 

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

OM JAI SHIV OMKARA, SWAMI JAI SHIV OMKARA |
BRAHMA, VISHNU, SADASHIV, ARDHANGI DHARA॥

OM JAI SHIV OMKARA…॥

 

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

EKANANA CHATURANAN PANCHANAN RAJE॥
HANSANAN, GARURAASAN VRISHVAHAN SAJE॥
OM JAI SHIV OMKARA….॥

Shiv Aarti
Shiv Aarti

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

DO BHUJA, CHAAR CHATURBHUJA DASHABHUJA ATI SOHE ॥
TRIGUN ROOP NIRAKHATE TRIBHUVAN JAN MOHE॥
OM JAI SHIV OMKARA…॥

 

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

AKSHMALA VANMALA MUNDAMALADHARI, TRIPURARI KANSARI KAR MALA DHARI ॥
OM JAI SHIV OMKARA…..॥

 

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

SHVETAMBAR PITAMBAR BAAGHAMBAR ANGE॥
SANAKAADIK GARUDADIK BHUTADIK SANGE ॥
OM JAI SHIV OMKARA…॥

 

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

KAR KE MADHYA KAMANDALU CHAKRA TRISHULDHARI । SUKHAKARI DUKHHARI JAGPALANKARI
JAI SHIV OMKARA…..॥

 

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

BRAHMA VISHNU SADASHIVA JANAT AVIVEKA, MADHU-KAITABH MARE, SUR BHAYHIN KARE ॥
OM JAI SHIV OMKARA…..॥

 

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

LAXMI, SAVITRI PARVATI SANGA , PARVATI ARDHANGI, SHIV LEHRI GANGA ॥
OM JAI SHIV OMKARA…..॥

 

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

JATA ME GANG BAHAT HE, GAL MUND MALA। SESHNAAG LIPTAVAT, ODHAN MRUGCHALA॥
OM JAI SHIV OMKARA…॥

shiv aarti lyrics in hindi and english
shiv aarti lyrics in hindi and english

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ओम जय शिव ओंकारा॥

KASHI ME BIRAJE VISHWANATH, NANDI BHRAMCHARI |
NIT UTH DARSHAN PAVAT, MAHIMA ATI BHARI॥
OM JAI SHIV OMKARA…॥

 

त्रिगुणस्वामीजी की आरति जो कोइ नर गावे।कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

TRIGUN SWAMI KI AARTI JO KOI NAR GAVE KAHATA SHIVANANDA SWAMI MANA VANCHITA PHALA PAVE ॥
JAI SHIV OMKARA…

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